वाक्य – वाक्य की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Vakya Kise Kahate Hain
इस लेख में हम आपको वाक्य की परिभाषा (Vakya ki paribhasa) (Vakya kise kahate hain), वाक्य के भेद (Vakya ke bhed) और Vakya के उदाहरण के बारे में बताने वाले हैं। इस Article में वाक्य के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसको ध्यान से पढे।
वाक्य का स्वरूप
जब भी हमें अपने मन की बात दूसरों तक पहुँचानी होती है या किसी से बातचीत करनी होती है तो हम वाक्यों का सहारा लेकर ही बोलते है। यद्यपि वाक्य विभिन्न शब्दों (पदों) के योग से बनता है और हर शब्द का अपना अलग अर्थ भी होता है, पर वाक्य में आए सभी घटक परस्पर मिलकर एक पूरा विचार या संदेश प्रकट करते हैं। वाक्य छोटा हो या बड़ा किसी-न-किसी विचार या भाव को पूर्णत: व्यक्त करने की क्षमता रखता है। अत:
वाक्य (Vakya) किसे कहते हैं?
“ऐसा सार्थक शब्द-समूह, जो व्यवस्थित हो तथा पूरा आशय प्रकट कर सके, वाक्य कहलाता है।”
‘वाक्य में निम्नलिखित बातें होती हैं :
- वाक्य की रचना शब्दों (पदों) के योग से होती है।
- वाक्य अपने में पूर्ण तथा स्वतंत्र होता है।
- वाक्य किसी-न-किसी भाव या विचार को पूर्णतः प्रकट कर पाने में सक्षम होता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति कहता है सफ़ेद जूते तो यह वाक्य नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यहाँ किसी ऐसे विचार या संदेश का ज्ञान नहीं होता जिसे वक्ता बताना चाहता हो; जबकि मुझे सफ़ेद जूते खरीदने हैं एक पूर्ण वाक्य है, क्योंकि यहाँ सफ़ेद जूतों’ के विषय में बोलने वाले का भाव स्पष्टतः प्रकट हो रहा है।
- शीला अध्यापिका है।
- होस्टल में रहने वाली सभी लड़कियाँ फ़िल्म देखने जा रही हैं।
- मजदूरों ने पेड़ काट दिए हैं।
- हम लोगों ने माता जी को सब रुपये दे दिए थे।
- बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
वाक्य की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
- वाक्य, भाषा की ऐसी इकाई है जो किसी भाव या विचार को व्यक्त करता है।
- वाक्य की रचना पदबंधों या शब्दों के योग से होती है।
- वाक्य में आने वाले शब्दों के बीच एक निश्चित क्रम होता है
- वाक्य की रचना उद्देश्य और विधेय के योग से होती है।
वाक्य (Vakya) के अंग
संरचना के धरातल पर वाक्य के दो प्रमुख अंग या घटक माने जाते हैं-कर्ता और क्रिया। छोटे से छोटे पूर्ण वाक्य में भी कर्ता और क्रिया अनिवार्य अंग हैं; जैसे:
(क) वह गया → वह (कर्ता) गया (क्रिया)
कर्ता को उद्देश्य तथा क्रिया को विधेय कहा जाता है। वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाए वह ‘उद्देश्य’ है तथा उद्देश्य के विषय में जो कहा जाए वह ‘विधेय’ है। इन दोनों के योग से ही वाक्य संरचना की दृष्टि से पूर्ण होता है तथा अपने निश्चित अर्थ को प्रकट करने में सक्षम होता है।
- इस प्रकार उद्देश्य और विधेय के रूप में कर्ता और क्रिया वाक्य के दो मुख्य अंग हैं।
- कुछ शब्द ऐच्छिक घटक के रूप में वाक्य में प्रयुक्त होते हैं। इनसे वक्ता का कथन अधिक स्पष्ट होता है; जैसे — मैं कल वनीता के साथ बस से घूमने जाऊँगी। ये ऐच्छिक घटक यदि वाक्य में प्रयुक्त हो रहे हैं तो अनिवार्य अंगों के सहायक बनकर ही आते हैं।
इस प्रकार वाक्य के दो अंग हैं :
उद्देश्य — इसके अंतर्गत मुख्य पद कर्ता तथा कर्ता को विस्तार देने वाले घटक-विशेषण या विशेषण पदबंध आते हैं।
विधेय — इसके अंतर्गत मुख्यत: क्रिया या क्रिया पदबंध तथा उसके विस्तारक घटक आते हैं । क्रिया का विस्तार करने वाले ये घटक कर्म, कर्म का विस्तार-विशेषण, क्रियाविशेषण, पूरक, पूरक का विस्तार – विशेषण हो सकते हैं।
टिप्पणी – पदबंध वाक्य में ही एक ही व्याकरणिक प्रकार्य करने वाले पदों के समूह को पदबंध कहते हैं; जैसे :
छोटा लड़का घर जाता है — संज्ञा पदबंध
मेरा छोटा भाई आज आएगा — विशेषण पदबंध
पूर्णांग तथा अल्पांग वाक्य (Vakya)
वाक्य की रचना के लिए एक कर्ता (उद्देश्य) तथा एक क्रिया (विधेय) का होना बहुत ज़रूरी है। लेकिन नीचे दिए गए वार्तालाप में आए रूपों को देखिए
पहला — चलोगे?
दूसरा — कहाँ?
पहला — स्टेशन।
दूसरा — कब?
यहाँ चलोगे’, ‘कहाँ’, ‘स्टेशन’, ‘कब’, ‘चार बजे’ अभिव्यक्ति के स्तर पर तो एक शब्द वाली रचनाएँ हैं, पर भाव या विचार को प्रकट करने की दृष्टि से पूर्ण हैं। वास्तव में हम जानते हैं कि ये निम्नलिखित वाक्यों के लघु रूप हैं :
अत: भाषा में कुछ वाक्य ऐसे भी हो सकते हैं जिनमें कुछ अंशों का लोप हो गया हो, परंतु ये अर्थ या भाव को संदर्भ के स्पष्ट करने में समर्थ होते हैं। ऐसे वाक्यों को लघु वाक्य या अल्पांग वाक्य कहा जाता है।
इस दृष्टि से वाक्य दो प्रकार के हो जाते हैं।
1. पूर्णाग वाक्य — वे वाक्य जिनके सभी अंग (पूर्णांग) वाक्य में विद्यमान हों। पूर्णांग वाक्यों में ‘उद्देश्य’ तथा ‘विधेय’ संबंधी घटक वाक्य में विद्यमान रहते हैं; जैसे:
- मजदूर पेड़ काट रहे हैं।
- हम लोग कल से काम किए जा रहे हैं।
- आप लोग इधर न बैठे।
2. अल्पांग वाक्य — जिन वाक्यों में उद्देश्य अथवा विधेय से संबंधित घटकों में से कोई एक ही घटक विद्यमान हो, अल्पांग वाक्य (अल्प है अंग जिसके) कहलाते हैं; जैसे:
आइए!, बैठिए!, पधारिए!, नमस्कार!, धन्यवाद!, कहाँ?, कैसे?, क्यों? आदि।
अर्थ के आधार पर वाक्यों के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्यों के निम्नलिखित भेद हो सकते हैं :
- कथनात्मक या विधानवाचक वाक्य
- नकारात्मक या निषेधवाची वाक्य
- आज्ञार्थक या विधिवाचक वाक्य
- प्रश्नवाचक वाक्य
- इच्छावाचक वाक्य
- संदेहवाचक वाक्य
- विस्मयादिबोधक या मनोवेगात्मक वाक्य
- संकेतवाचक वाक्य।
1. कथनात्मक या विधानवाचक वाक्य —
सामान्य कथन या किसी वस्तु या व्यक्ति की स्थिति/अवस्था का बोध करानेवाले वाक्य ‘कथनात्मक वाक्य’ या ‘सकारात्मक वाक्य‘ कहे जाते हैं; जैसे:
- लड़कियाँ नृत्य कर रही हैं।
- उसकी पत्नी बहुत बीमार थी।
- शीला अध्यापिका है।
2. नकारात्मक या निषेधवाची वाक्य —
इनको निषेधात्मक वाक्य’ भी कहा जाता है। इन वाक्यों में कथन का निषेध किया जाता है। सामान्यत: हिंदी में सकारात्मक वाक्यों में ‘नहीं’, ‘न’, ‘मत’ लगाकर नकारात्मक वाक्य बनाए जाते हैं; जैसे :
- वे बाजार गए हैं। → वे बाजार नहीं गए।
- आप इधर बैठे। → आप इधर न बैठे।
- घूमने चले जाओ → घूमने मत जाओ।
इसके अलावा हिंदी में नकारात्मक वाक्य और भी कई तरीकों से बनाए जाते हैं; जैसे:
- मैं तो अब यह काम करने से रहा। (नहीं करूँगा)
- अब तुम मुझे क्यों पूछोगे। (नहीं पूछोगे)
- अब वह कहाँ मिलेगी। (नहीं मिलेगी)
- अब क्या करेगा वह तुम्हारा काम। (नहीं करेगा)
3. आज्ञार्थक या विधिवाचक वाक्य —
जिन वाक्यों में आज्ञा, निर्देश, प्रार्थना या विनय आदि का भाव प्रकट होता है, वे आज्ञार्थक वाक्य कहे जाते हैं; जैसे:
- निकल जाओ कमरे से बाहर।
- सारा सामान खरीद लाना।
- मेहरबानी करके आप बाहर बैठिए।
- शाम तक ज़रूर आ जाना।
- कृपया पत्रोत्तर शीघ्र दें।
4. प्रश्नवाचक वाक्य —
जिस तरह अधिकांश सकारात्मक वाक्यों के निषेधात्मक वाक्य बन जाते हैं, उसी तरह उनके प्रश्नवाचक रूप भी बन सकते हैं। प्रश्नवाचक रूप तो सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही प्रकार के वाक्यों से बनाए जा सकते हैं। प्रश्नवाचक वाक्यों में वक्ता कोई-न-कोई प्रश्न पूछता है। ये दो प्रकार के होते हैं :
(i). ऐसे प्रस्त्वाचक जिनका उत्तर केवल हाँ/ना में प्राप्त होता है। इनमें क्या’ ( प्रश्नवाचक शब्ट) वात्स्य के आरंभ में आता है। जैसे:
- क्या वह आगरा जा रही है?
- क्या उसने झूठ बोला था?
- क्या आप मुझसे नहीं मिलेंगे?
(ii). अन्य प्रश्नवाचक वाक्यों में प्रश्नवाचक शब्द वाक्य के बीच में आता है। जैसे:
- आप लोग यहाँ से कब जा रहे हैं?
- वे लोग कहाँ रहते?
- आपको किससे मिलना है?
सभी प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में प्रश्नवाचक चिहन (?) अनिवार्य रूप से लगाया जाता है।
5. कावाचक वाक्य —
इन वाक्यों में वक्ता अपने लिए या दूसरों के लिए किसी न किसी इच्छा के भाव को प्रकट करता है। जैसे:
- आज तो कहीं से पैसे मिल जाएँ।
- आपकी यात्रा शुभ हो।
6. संदेहवाचक वाक्य —
इन वाक्यों में वक्ता प्राय: संदेह की भावना को प्रकट करता है, जैसे
- शायद आज बारिश हो!
- हो सकता है आज धूप न निकले!
- अब तक बाघ नदी पार कर चुका होगा!
इन वाक्यों को संभावनार्थक भी कह सकते हैं, क्योंकि कार्य होने के प्रति वक्ता संभावना भी व्यक्त करता है।
7. विस्मयादिबोधक या मनोवेगात्मक वाक्य —
इन वाक्यों में विस्मय, आश्चर्य, घृणा, प्रेम, हर्ष, शोक आदि के भाव अचानक वक्ता के मुंह से निकल पड़ते हैं; जैसे :
- ओह ! कितना सुंदर दृश्य है।
- हाय! मैं मर गया।
- धत् । सब गड़बड़ कर दिया।
8. संकेतवाचक वाक्य —
इन वाक्यों में किसी-न-किसी शर्त की पूर्ति का विधान किया जाता है इसीलिए इनको शर्तवाची वाक्य’ भी कहते हैं; जैसे:
- यदि तुम भी मेरे साथ रहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा।
- अगर वे आ जाते तो मेरा काम बन जाता।
- अगर उसने झूठ न बोला होता तो उसकी नौकरी न जाती।
- वर्षा होती तो अनाज पैदा होता।
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
- सरल वाक्य
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य
1. सरल वाक्य (Simple Sentense)
सरल वाक्य में एक ही क्रिया होती है। अत: यह एक ही वाक्य होता है। इसमें उपवाक्य नहीं होते; जैसे — मुझे कल दिल्ली जाना है। इस वाक्य में एक ही क्रिया — जाने की हो रही है।
परंतु जब इसके साथ यह भी जोड़ दिया गया कि और फिर परसों वहाँ से कोलकाता पहुँचना है तो यह सरल वाक्य नहीं रह गया। अब यह पूरा वाक्य दो अलग-अलग वाक्यों से मिलकर बना है, जिसमें जाना है और पहुँचना है; दो क्रियाएँ हैं।
सरल वाक्य को दूसरी भाषा में साधारण वाक्य के नाम से भी जाना जाता है, वाक्य में एक उद्देश्य होता है। जैसे :
- सरल वाक्य में आने वाली क्रिया यदि अकर्मक तो उस वाक्य में कर्म नहीं आ सकता; जैसे-वह सो गया।
- यदि सकर्मक क्रिया है, तो कर्म अवश्य आएगा; जैसे-छात्र ने पाठ पढ़ा।
- यदि सकर्मक क्रिया है और द्विकर्मक है, तो दो कर्म आएँगे; जैसे-सेठ ने नौकर को पैसे दिए।
- यदि प्रेरणार्थक क्रिया है, तो प्रेरक संज्ञा तथा प्रेरित संज्ञा दोनों का प्रयोग होगा-अध्यापक ने छात्रों से लेख लिखवाया।
2. संयुक्त वाक्य (Compound Sentense)
‘संयुक्त वाक्य’ में आने वाले सभी उपवाक्य ‘स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं। स्वतंत्र उपवाक्य से तात्पर्य यही है कि इनका प्रयोग भाषा में अलग से स्वतंत्र रूप में हो सकता है। संयुक्त वाक्यों में आए उपवाक्य समान स्तर’ के उपवाक्य होते हैं। यहाँ न कोई उपवाक्य किसी से बड़ा होता है और न कोई किसी से छोटा । इसीलिए संयुक्त वाक्यों के उपवाक्यों को समानाधिकृत उपवाक्य अथवा समानाधिकरण उपवाक्य भी कहते हैं; जैसे —
- (क) मोहन दिल्ली जाएगा और शीला यहीं रहेगी।
- (ख) माता जी बाजार गईं और बच्चों के लिए खिलौने लाईं।
- (ग) यहाँ आप रह सकते हैं या आपका भाई रह सकता है।
संयुक्त वाक्यों के भेद
संयुक्त वाक्यों के भेद इस आधार पर किए जाते हैं कि उनके उपवाक्य परस्पर किन संबंधों के आधार पर जुड़े हैं। सामान्यतः ये संबंध भार प्रकार के होते हैं-संयोजक संबंध, विभाजक संबंध, विरोधवाची संबंध तथा परिणामवाची संबंध। इन्हीं के आधार पर चार प्रकार के संयुक्त वाक्य हो जाते हैं
- संयोजक संयुक्त वाक्य
- विभाजक संयुक्त वाक्य
- विरोधवाचक संयुक्त वाक्य
- परिणामवाची संयुक्त वाक्य ।
1. संयोजक संयुक्त वाक्य — जिन संयुक्त वाक्यों में उपवाक्य दो कार्य-व्यापारों या स्थितियों को जोड़ने का कार्य करते हैं; जैसे —
- (क) मैं दिल्ली गया था और मेरी पत्नी आगरा।
- (ख) यहाँ मैं बैगा तथा उधर दूसरे लोग बैठेंगे।
- (ग) आपके लिए खिचड़ी बनी है एवं मेरे लिए चावल।
2. विभाजक संयुक्त वाक्य — जिन संयुक्त वाक्यों में आए उपवाक्यों से दो स्थितियों या कार्य-व्यापारों के बीच विकल्प दिखाया जाए या एक को स्वीकार किया जाए तथा दूसरी को त्यागा जाए, वे विभाजक संयुक्त वाक्य कहे जाते हैं। इनमें या, अथवा, या-या, न न, कि आदि समुच्चयबोधक अव्ययों का प्रयोग मिलता है; जैसे —
- (क) आप पहुँच जाएँगे या मैं आपको फोन करूँ?
- (ख) ठीक से काम करो अथवा नौकरी छोड़ दो।
- (ग) मैं न आपको पहचानता हूँ न आपके पिता जी को।
- (घ) न तो शीला ही आई, न अपने बेटे को ही भेजा।
- (ङ) आप मेरे साथ रहेंगे कि मदन मोहन के साथ?
3. विरोधवाचक संयुक्त वाक्य — जब उपवाक्यों के बीच विरोध या विरोधाभास का बोध हो तो ऐसे संयुक्त वाक्य विरोधवाची संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। ये प्राय: मगर, पर, लेकिन, बल्कि आदि अव्ययों से जुड़े रहते हैं; जैसे—
- (क) वह खेलने में तो अच्छा है मगर पढ़ाई-लिखाई नहीं करता।
- (ख) मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी।
- (ग) हम जाना नहीं चाहते थे लेकिन आपके पिता जी नहीं माने।
4. परिणामवाची संयुक्त वाक्य — जब एक उपवाक्य से कार्य का तथा दूसरे से उसके परिणाम का बोध हो तो वे परिणामवाची संयुक्त वाक्य कहे जाते हैं। इनके उपवाक्य प्रायः इसलिए, अतः, सो आदि अव्ययों से जुड़े रहते हैं; जैसे —
- (क) आज बाजार बंद है इसलिए कुछ नहीं मिलेगा।
- (ख) वह बहुत बीमार था अत: चुप ही बैठा रहा।
- (ग) वह आना नहीं चाहती थी सो झूठ बोलकर चली गई।
3. मिश्र वाक्य (Complex Sentense)
संयुक्त वाक्यों में जहाँ प्रत्येक उपवाक्य स्वतंत्र उपवाक्य होता है, वहाँ मिश्र वाक्यों में एक उपवाक्य तो ‘स्वतंत्र उपवाक्य’ होता है तथा शेष उपवाक्य स्वतंत्र उपवाक्य पर आश्रित रहने के कारण ‘आश्रित उपवाक्य’। स्वतंत्र उपवाक्य को प्रधान उपवाक्य’ भी कहा जाता है, जैसे —
प्रधान उपवाक्य | आश्रित उपवाक्य |
(क) मैं उस लड़की से मिला था | जिसकी किताब खो गई थी। |
(ख) मैंने वहीं मकान खरीदा है | जहाँ आप रहते हैं। |
(ग) पिता जी ने मुझसे कहा | कि वे बहुत बीमार हैं। |
रूपांतरण/रचनांतरण
अर्थ की दृष्टि से वाक्यों के आठों भेद के बीच परस्पर रूपांतरण (रचनांतरण) किया जा सकता है; जैसे :
बच्चा दूध पीता है। ⇒ बच्चा दूध नहीं पीता। (निषेधात्मक)
क्या बच्चा दूध पीता है? (प्रश्नवाचक)
वैसे तो किसी भी वाक्य को किसी भी प्रकार के वाक्य में रूपांतरित किया जा सकता है पर सामान्यत: विधानवाचक (कथनात्मक) वाक्यों को आधार वाक्य माना जाता है और उन्हीं का अन्य प्रकार के वाक्यों में रूपांतरण किया जाता है। इस प्रकार एक विधानवाचक वाक्य की लगभग सभी प्रकार के वाक्यों में रूपांतरित किया जा सकता है; जैसे : लड़की स्कूल जाती है।
- लड़की स्कूल नहीं जाती। (निषेधवाचक)
- क्या लड़की स्कूल जाती है? (प्रश्नवाचक)
- लड़की, स्कूल जाओ। (आज्ञावाचक)
- अरे! लड़की स्कूल जाती है। (विस्मयवाचक)
- (मैं चाहता हूँ कि) लड़की स्कूल जाए। (इच्छावाचक)
- लड़की स्कूल जाती होगी। (संदेहवाचक)
- लड़की स्कूल जाती तो। (संकेतवाचक)
ध्यान देने योग्य
- सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जो आशय प्रकट कर सकने में समर्थ हो, वाक्य कहलाता है।
- वाक्य रचना के दो अनिवार्य तत्व-पदक्रम और अन्विति हैं।
- उद्देश्य (कर्ता तथा उसका विस्तार) एवं विधेय (उद्देश्य के में जो कहा जाए, मुख्यतः क्रिया) वाक्य के प्रमुख अंग हैं।
- अर्थ के आधार पर आठ भेद-विधानवाचक, निषेधवाचक, आज्ञार्थक, प्रश्नवाचक, इच्छावाचक, संदेहवाचक, विस्मयादिबोधक तथा संकेतवाचका।
- आठों भेदों में परस्पर रूपांतरण किया जा सकता है।