भारतीय के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Indian National Festivals Essay in Hindi
भारतीय के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Indian National Festivals par nibandh | Indian National Festivals par nibandh in Hindi | भारतीय के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Indian National Festivals par Hindi Essay | Essay on Indian National Festivals in Hindi
हमारे जीवन में पर्यों का अत्यधिक महत्त्व है। इन पॉ, उत्सवों एवं त्योहारों से हमारे नीरस जीवन में सरसता, उल्लास, उत्साह एवं आनंद की वृद्धि होती है। ये पर्व अनेक प्रकार के होते हैं-धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, जातिगत, स्थानीय तथा राष्ट्रीय। होली, दीपावली, दशहरा, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस आदि ऐसे त्योहार या पर्व हैं जिनका संबंध धर्म-विशेष से है। वैसाखी, पोंगल, ओणम, बसंत पंचमी आदि पर्वों का संबंध एक स्थान-विशेष की संस्कृति से है। इनके अतिरिक्त हमारे जीवन में कुछ पर्व ऐसे भी हैं जिनका संबंध किसी जाति, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र अथवा वर्ग से नहीं होता। इनका संबंध संपूर्ण राष्ट्र से होता है। ये पर्व राष्ट्रीय पर्वो के नाम से जाने जाते हैं। हमारे राष्ट्रीय पर्वों में गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस तथा गांधी जयंती प्रमुख हैं। वैसे इनके अतिरिक्त शहीद दिवस (30 जनवरी), शिक्षक दिवस, बाल दिवस आदि भी इसी श्रेणी में रखे जा सकते हैं।
हमारे राष्ट्रीय पर्वों में सर्वप्रथम आता है- गणतंत्र दिवस। गणतंत्र दिवस प्रतिवर्ष 26 जनवरी को संपूर्ण भारत में अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के लिए अपार उत्साह देखने को मिलता है। 26 जनवरी, 1930 को रावी नदी के तट पर पं० जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में यह संकल्प लिया गया था कि हम पूर्ण स्वराज लिए बिना चैन की साँस नहीं लेंगे। इसलिए 26 जनवरी के दिन का भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व है। जब 15 अगस्त, 1947 को भारत में स्वतंत्रता का सूर्योदय हुआ तथा संपूर्ण राष्ट्र ने स्वाधीन भारत में साँस ली तो उस समय हमारे देश का कोई संविधान नहीं था। भारत का संविधान निर्मित किया गया तथा इसे लागू करने के लिए 26 जनवरी, 1930 की याद में 26 जनवरी, 1950 का दिन चुना गया। इसी दिन भारत एक पंथ-निरपेक्ष, सर्वप्रभुता-संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया गया। इस दिन दिल्ली में विशेष परेड का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारत की तीनों सेनाओं के सर्वोच्च सेनापति, भारत के राष्ट्रपति को सलामी देते हैं। सेना, पुलिस तथा अन्य बलों की परेड होती है और विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झाँकियाँ, लोक-नृत्य तथा स्कूली बच्चों के अत्यंत आकर्षक कार्यक्रम होते हैं।
हमारा दूसरा राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस है, जिसे प्रतिवर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है। अनेक वर्षों के संघर्ष के बाद हमें इसी दिन 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए न जाने कितने युवकों ने हँसते-हँसते फाँसी के फंदों को चूमा, न जाने कितनों ने गुमनाम रहकर अपने प्राणों का बलिदान किया। न जाने कितनों ने वर्षों तक जेलों में यातनाएँ सहीं, न जाने कितनों ने सिर से कफन बाँधकर अपना प्राणोत्सर्ग किया। इस दिन भारत के प्रधानमंत्री ऐतिहासिक भवन लाल किले के प्राचीर पर ध्वजारोहण करते हैं तथा राष्ट्र को संबोधित करते हैं। दिल्ली में ही नहीं, संपूर्ण भारत में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
गांधी जयंती (2 अक्टूबर) को भी राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता थे, जिन्होंने हमें सत्य एवं अहिंसा का वह शस्त्र दिया जिसके आगे ब्रिटिश साम्राज्य को भी घुटने टेकने पड़े। भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने, देश में राजनैतिक जाग्रति लाने, जीर्ण-शीर्ण संस्कारों तथा रूढ़ियों के प्रति जनाधार तैयार करने, अछूतोद्धार, स्त्री-शिक्षा तथा खादी-प्रचार में गांधी जी के योगदान को भारत-भूमि सदा याद रखेगी। भारतीय जन-मानस की वल्लरी, जो दैन्य और निराशा के तप्त झोंको से मुरझा गई थी, गांधी जी की स्निग्ध पीयूष धारा में अवगाहन करके लहलहा उठी थी। 2 अक्टूबर को समूचा राष्ट्र नत-मस्तक होकर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित करता है। इन पर्वों के अतिरिक्त नेहरू जी का जन्म-दिवस (14 नवंबर) बाल दिवस और डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म-दिवस (5 सितंबर) शिक्षक दिवस के रूप में समूचे भारत में मनाए जाते हैं।
इन सभी पर्वों से हमें राष्ट्रीय समस्याओं पर पुनर्विचार करने, अपने लक्ष्य को निर्धारित करने, राष्ट्रोन्नति के प्रति अपने कर्तव्यों को याद करने और देशोत्थान का संकल्प लेने का अवसर मिलता है।