Monday, March 20, 2023
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स्वतंत्रता दिवस पर निबंध | Independence Day Essay in Hindi

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध | Independence Day Essay in Hindi

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स्वतंत्रता दिवस पर निबंध | Independence Day Essay in Hindi

स्वतंत्रता प्रत्येक प्राणी का जन्मसिद्ध अधिकार है। तुलसीदास जी ने कहा था

“पराधीन सपनेहुँ सुख नाही”

अर्थात् पराधीनता में तो स्वप्न में भी सुख नहीं है। पराधीनता तो किसी के लिए भी अभिशाप है। जब हमारा देश परतंत्र था, उस समय विश्व में न हमारी इज्जत थी, न हमारा अपना झंडा था, न हमारा संविधान था। आज हम स्वतंत्र हैं इसलिए सारे संसार में सिर ऊँचा करके चल सकते हैं।

स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। इसी दिन दिल्ली के लाल किले पर तथा अन्य सरकारी इमारतों पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराया गया था। इसी दिन हमने सौ साल की गुलामी की बंद कोठरियों से निकलकर स्वतंत्रता की उन्मुक्त साँस ली थी। इसीलिए हर साल उस याद को ताजा बनाए रखने के लिए भारत का प्रत्येक नागरिक इस राष्ट्रीय पर्व को बड़े गौरव और उल्लास से मनाता है। 15 अगस्त, 1947 को ही पं. जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे। लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराने के बाद उन्होंने सारे देश की जनता को संबोधित किया था। सारा देश भारत माता की जय’, ‘महात्मा गांधी की जय’, ‘पं० जवाहर लाल नेहरू की जय’ के नारों से गूंज उठा।

प्रतिवर्ष 15 अगस्त की पावन बेला पर देश के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराकर देश को संबोधित करते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर हमारे देश के विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों, कल-कारखानों आदि सभी जगह अवकाश रहता है। राज्यों की राजधानियों में विशेष समारोह मनाए जाते हैं। अलग-अलग प्रदेशों में वहाँ के मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और वहाँ की जनता को संदेश देते हैं। इस दिन प्रत्येक सच्चा भारतीय अपने मन में यह प्रतिज्ञा करता है कि वह तन-मन-धन से अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा।

स्वतंत्रता दिवस मनाए जाने से जनता में एक नए उत्साह की भावना का संचार हो उठता है। देशवासियों के मन में स्वाभिमान तथा देश-भक्ति की भावना जागृत होती है। अपने पुराने इतिहास को याद करके नागरिक यह प्रण लेते हैं कि जिस स्वतंत्रता को पाने के लिए हमारे नौजवान क्रांतिकारियों और नेताओं ने अपना जीवन अर्पित कर दिया, हमें किसी भी कीमत पर उसे बचाना है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि देश की स्वतंत्रता से ही अस्मिता जुड़ी हुई है। यह स्वतंत्रता हमारी राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है।

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