Hindi Patra Lekhan – पत्र लेखन | Format | प्रकार | उदाहरण
इस लेख में हम आपको पत्र लेखन की परिभाषा (Patra Lekhan ki paribhasa) (Patra Lekhan kise kahate hain), पत्र लेखन के विषय (Patra Lekhan ke Vishay ) और Patra Lekhan के उदाहरण के बारे में बताने वाले हैं। इस Article में पत्र लेखन के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसको ध्यान से पढे।
पत्रों का महत्व — अभिव्यक्ति के समस्त लिखित साधनों में पत्र आज सबसे प्रमुख, शक्तिशाली, प्रभावपूर्ण और मनोरम साधन है। निबंध अथवा लेख में व्यक्ति का सारा ध्यान विषय-वस्तु के प्रतिपादन की ओर ही रहता है, जबकि पत्र में निकटतम आत्मीयता रहती है तथा लेखक और पाठक दोनों सामीप्य का अनुभव करते हैं। संक्षेप में हम यहाँ पत्र-लेखन की कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताओं पर प्रकाश डालेंगे।
1. सरलता — पत्र की भाषा सरल, सुबोध और ग्रहणशील होनी चाहिए। उसमें स्पष्टता का होना अत्यंत आवश्यक है। जटिल भाषा, उलझे हुए वाक्य और अस्पष्ट कथ्य पत्र को निरर्थक और उबाऊ बना देते हैं। पत्र के द्वारा पत्र-लेखक का आशय अपने पूर्ण रूप में व्यक्त होना अपेक्षित है।
2. निश्चयात्मकता — पत्र में अभिप्राय की सुनिश्चितता होनी आवश्यक है। पत्र पढ़कर यदि पाठक को कोई शंका अथवा दुविधा बनी रही तो पत्र का सारा उद्देश्य ही व्यर्थ हो जाता है।
3. संक्षिप्तता — पत्र-लेखक को गागर में सागर भरने की कला का निरंतर अभ्यास करना चाहिए। पत्र में अनावश्यक उपमाओं, रूपकों, उत्प्रेक्षाओं और श्लेष-यमक प्रयोगों से सदैव बचना चाहिए।
पत्रों के प्रकार
विषय के अनुसार पत्रों को अनेक श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है; जैसे-प्रेम पत्र, निमंत्रण पत्र, विवाह पत्र, जन्म-दिन पत्र, शोक पत्र, संवेदना पत्र आदि; किंतु शैली-शिल्प को व्यापक रूप में देखते हुए पत्रों को निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जाता है —
- अनौपचारिक तथा
- औपचारिक।
1. अनौपचारिक पत्राचार — अनौपचारिक पत्राचार उनके साथ किया जाता है, जिनसे हमारा व्यक्तिगत संबंध होता है। इसे व्यक्तिगत पत्राचार भी कहा जाता है। इसीलिए इन पत्रों में व्यक्तिगत सुख-दुख का ब्यौरा और विवरण होता है। ये पत्र अपने परिवार के लोगों, मित्रों और निकट संबंधियों को लिखे जाते हैं।
2. औपचारिक पत्राचार — यह पत्राचार उन लोगों के साथ किया जाता है, जिनके साथ हमारा कोई निजी परिचय नहीं होता। यदि होता है तो उसमें व्यक्तिगत लगाव और आत्मीयता गौण होती है। इनमें औपचारिकता और कथ्य संदेश ही मुख्य होता है; इनमें तथ्यों और सूचनाओं पर ही अधिक महत्त्व दिया जाता है।
औपचारिक पत्रों के अंतर्गत निम्नलिखित पत्र आते हैं :
- (क) आवेदन-पत्र
- (ख) व्यावसायिक-पत्र
- (ग) सरकारी पत्राचार
- (घ) अव्यावसायिक संस्थाओं के साथ पत्राचार ।
औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों को एक विशिष्ट प्रकार के ढाँचे में रखकर प्रस्तुत किया जाता है।
नोट: परीक्षा में परीक्षार्थी को अपनी पहचान बताने की अनुमति नहीं होती है, अत: पत्र लिखते समय यदि पत्र-लेखक के विषय में कोई सूचना नहीं दी गई है तो भेजने वाले के पते’ के स्थान पर परीक्षा भवन’ लिखा जाए। अन्यथा दी गई सूचना का प्रयोग करें।
अनौपचारिक पत्रों का प्रारूप अथवा ढाँचापत्र चाहे औपचारिक हो अथवा अनौपचारिक दोनों में प्रारूप अथवा ढाँचे का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वस्तुत: औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार के पत्रों के ऐसे विशिष्ट औपचारिक ढाँचे हैं, जिनमें रखकर पत्र को प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित अनौपचारिक पत्र के एक प्रस्तावित ढाँचे को देखिए : 211, करिश्मा अपार्टमेंट आदरणीय पिता जी सादर नमस्कार आपने अपने पत्र में ………………. ………………. …………………….. ………………..। माता जी, बुआ जी आदि को ………………. ……………………. …………………… …………….। पत्र की प्रतीक्षा में |
आपने ध्यान दिया होगा कि अनौपचारिक निजी पत्र के ढाँचे के इस नमूने में पत्र के तीन प्रमुख भाग हैं —
- शीर्ष भाग,
- मुख्य मध्य भाग तथा
- अधोभाग।
शीर्ष भाग में अपना पता, दिनांक, संबोधन वाक्य और प्रशस्ति आते हैं। मुख्य मध्य भाग में पत्र का संदेश अथवा कथ्य रहता है तथा अधोभाग में ‘स्वनिर्देश’ के अंतर्गत अपना नाम और हस्ताक्षर लिखा रहता है।
औपचारिक पत्र का भी अपना एक सुनिश्चित ढाँचा होता है। उसमें शीर्ष भाग में पत्र-प्रेक्षक का पता बायीं ओर लिखा जाता है तथा पत्र-प्रेषक अपना नाम नीचे ‘स्वनिर्देश’ के बाद लिखते हैं
ध्यान रहे कि औपचारिक पत्र के मध्य भाग को समाप्त करने के बाद आभार सूचक वाक्य अथवा धन्यवाद’ लिखते हैं और उसके बाद ही ‘स्वनिर्देश’ लिखा जाता है।
व्यक्तिगत
पत्र आरंभ और समाप्त करने की औपचारिक तालिका
पत्र का प्रकार | संबंध | आरंभ | समापन |
व्यक्तिगत | माता-पिता, बड़े भाई अथवा बड़ी बहन तथा आदरणीय संबंधियों को | माननीय, आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, परम पूज्य, श्रद्धेय, परम आदरणीय | आपका सदैव आज्ञाकारी, स्नेह पात्र, स्नेह भाजन, सेवक, कृपा पात्र, स्नेहाकांक्षी, स्नेहाधीन |
मित्र अथवा सहपाठी को | प्रिय मित्र, मित्रवर, प्रिय बंधु, बंधुवर, प्रिय | तुम्हारा अपना ही, अभिन्न प्राण, अभिन्न हृदय, तुम्हारा ही, चिर स्नेही, चिर शुभाकांक्षी | |
पत्नी अथवा पति को | प्रिय प्राण, प्रियतमे, प्राण वल्लभे, चिर सहचरी, प्राणेश्वरी, प्रिय | आपकी चिरसंगिनी, अभिन्न हृदया, तुम्हारा ही, तुम्हारी ही | |
अपने से छोटों को | प्रिय, परम प्रिय, प्रियवर | तुम्हारा शुभचिंतक, शुभाकांक्षी, शुभेच्छुक | |
व्यावसायिक | पुस्तक विक्रेता, बैंक मैनेजर या अन्य व्यापारी आदि | श्रीमान जी, महोदय, प्रिय महोदय, माननीय महोदय, प्रबंधक महोदय | भवदीय, निवेदक, आपका |
आवेदन-पत्र | प्रधानाचार्य | श्रीमान जी, महोदय, मान्यवर, माननीय महोदय | विनीत, प्रार्थी, भवदीय, आपका आज्ञाकारी, आपका स्नेह भाजन |
संबद्ध अधिकारी | मान्य/माननीय महोदय, मान्यवर | भवदीय, विनीत, आपका स्नेह भाजन/ कृपाकांक्षी | |
कार्यालय | संपादक, नगर निगम अधिकारी, केंद्रीय मंत्री, रेलवे अधीक्षक, पोस्टमास्टर | आदरणीय संपादक महोदय, मान्यवर महोदय, मान्य महोदय | भवदीय, प्रार्थी, कृपाकांक्षी, निवेदक, विनीत |
अनौपचारिक पत्र
1. अपने पिता जी को पत्र लिखकर बताइए कि आपके विद्यालय का वार्षिकोत्सव किस प्रकार मनाया गया।
अथवा
विद्यालय के वार्षिकोत्सव में पुरस्कार प्राप्ति की प्रसन्नता का वर्णन करते हुए अपने पिता जी को एक पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक :.15 मार्च, 20XX
पूज्य पिता
सादर चरण स्पर्श
आपका कुशल-पत्र यथासमय प्राप्त हो गया था। कार्य की व्यस्तता के कारण पत्रोत्तर में विलंब के लिए क्षमा-प्रार्थी हूँ। वस्तुतः पिछले एक माह से हम विद्यालय के वार्षिकोत्सव की तैयारी में लगे हुए थे। कल ही यह वार्षिकोत्सव आयोजित किया गया था, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है :
गत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी विद्यालय को दुल्हन की तरह सजाया गया था। इस अवसर पर माननीय शिक्षा निदेशक तथा अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
सरस्वती वंदना के साथ वार्षिकोत्सव के कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इसके पश्चात् प्रधानाचार्य ने अतिथियों का हार्दिक स्वागत करते हुए वर्ष की उपलब्धियों का उल्लेख किया। तदंनतर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इसके अंतर्गत लोक-नृत्य, लोक-गीत, मूक अभिनय तथा एकांकी नाटक आदि प्रस्तुत किए गए। एकांकी नाटक ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का सबसे प्रमुख आकर्षण था। अधिकार का रक्षक’ नामक इस एकांकी के प्रमुख पात्र सेठ घनश्याम दास का अभिनय मैंने ही किया, जिसको दर्शकों ने बहुत सराहा। इस अवसर पर कला-प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था। इस प्रदर्शनी में नन्हे-मुन्ने कलाकारों के चित्रों को भी प्रदर्शित किया गया था।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद मुख्य अतिथि माननीय शिक्षा निदेशक ने विद्यालय की गतिविधियों में भाग लेने वाले छात्रों में पारितोषिक वितरित किया। मुझे भी इस अवसर पर दो पुरस्कार मिले। मुझे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता तथा सर्वश्रेष्ठ वक्ता होने का पुरस्कार मिला। यह सब आपके आशीर्वाद तथा गुरुजनों के मार्गदर्शन का परिणाम है। मुख्य अतिथि ने मेरे अभिनय की भी सराहना की तथा मेरी पीठ थपथपाई।
अंत में मुख्य अतिथि ने विद्यालय की प्रगति की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा छात्रों को रचनात्मक कार्यों में जुट जाने की प्रेरणा भी दी। प्रधानाचार्य द्वारा सभी अतिथियों को धन्यवाद दिए जाने के बाद समारोह का समापन हो गया।
शेष सब कुशल है। मेरे मित्र भी आपको प्रणाम कहते हैं।
आपका पुत्र
क०ख०ग०
2. किसी पर्वतीय स्थान का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए कि वह भी कुछ दिनों के लिए आपके पास आ जाए।
अथवा
अपने मित्र को पत्र लिखिए कि परीक्षा के बाद वह कुछ दिन आपके घर में बिताने के लिए आ जाए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 20 मार्च, 20xx
प्रिय मित्र संदीप
सस्नेह नमस्कार
आशा है कि तुम सपरिवार कुशल होगे। कल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुम्हारी परीक्षा समाप्त हो गई है और तुम्हारा विद्यालय 15 जुलाई तक के लिए ग्रीष्मावकाश के उपलक्ष्य में बंद हो गया है। मेरी तथा मेरे घर के सभी सदस्यों की बहुत दिनों से यह इच्छा थी कि तुम्हें कुछ दिनों के लिए बुलाएँ, परंतु तुम्हारी पढ़ाई का विचार कर ऐसा नहीं कर पाए। अब तुम्हारी परीक्षा समाप्त हो गई है और विद्यालय भी बंद हो गया है, अतः अब हम तुम्हें यहाँ आने का सप्रेम निमंत्रण प्रेषित करते हैं।
कोटद्वार यद्यपि छोटा-सा नगर है, फिर भी इसकी कई विशेषताएँ हैं । इस छोटे से नगर में भी अनेक दर्शनीय स्थल हैं। कालिदास के अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ का कण्वाश्रम यहीं है। सिद्ध बाबा का मंदिर, जहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु भक्त आकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, यहाँ का मुख्य आकर्षण है। यहाँ से 20-22 किलोमीटर की दूरी पर लैंसडौन पर्वतीय स्थल अपनी प्राकृतिक सुषमा के लिए प्रसिद्ध है। इस नगरी का एक-एक चप्पा अपने नैसर्गिक सौंदर्य से पूर्ण है।
प्रिय मित्र, मुझे पूरा विश्वास है कि तुम निश्चित रूप से मेरे निमंत्रण को स्वीकार करोगे। हम सभी तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। आने से पूर्व यहाँ पहुँचने की तिथि से अवगत कराना, जिससे मैं तुम्हें लेने स्टेशन पर आ सकूँ।
तुम्हारा मित्र
क०ख०म०
3. अपने मित्र को अपने बड़े भाई के विवाह में सम्मिलित होने का निमंत्रण भेजिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 11 मार्च, 20xx
प्रिय मित्र राहुल
सप्रेम नमस्कार
तुम्हें यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता होगी कि ईश्वर की असीम कृपा से मेरे अग्रज श्री सुरेंद्र कुमार का शुभ विवाह देहरादून निवासी श्री सुनीत कुमार की पुत्री से दिनांक 25 मार्च, 20Xx को होना निश्चित हुआ है। बरात 25 मार्च को प्रात: दस बजे देहरादून के लिए प्रस्थान करेगी। इस शुभ अवसर पर मैं तुम्हें सप्रेम आमंत्रित करते हुए आशा करता हूँ कि तुम अपनी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाओगे। विश्वास है कि तुम निराश नहीं करोगे।
शेष मिलने पर
तुम्हारा मित्र
क०ख०ग०
4. आप विजय 67-ए, मोहन नगर , पंखा रोड, नांगलराय, नई दिल्ली के निवासी हैं। आप परीक्षा में असफल होने वाले मित्र को पुनः अध्ययन के लिए प्रेरित करते हुए पत्र लिखिए।
67-ए, मोहन नगर
पंखा रोड, नांगलराय
नई दिल्ली
दिनांक : 12 जुलाई, 20xx