मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध | Essay on Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi
मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध | Mere Jeevan ka Lakshya par nibandh | Mere Jeevan ka Lakshya par nibandh in Hindi | मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध | Mere Jeevan ka Lakshya par Hindi Essay | Essay on Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi
“पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।”
लक्ष्य क्या है?
लक्ष्यहीन जीवन स्वच्छंद रूप से सागर में छोड़ी हुई नाव के समान होता है। ऐसी नाव या तो भँवर में डूब जाती है या चट्टान से टकराकर चूर-चूर हो जाती है। अत: जीवन का लक्ष्य तय करना मानव का प्रथम कर्तव्य है। मेरे भी हृदय-रूपी सागर में कई उमंगें और तरंगें समय-समय पर उपस्थित होती रहती हैं। मेरे जीवन का एक स्वप्न है जिसे मैं येन-केन-प्रकारेण साकार और सार्थक करना चाहता हूँ। मेरे जीवन का स्वप्न है — डॉक्टर बनने का। यही मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य भी है।
क्यों चुना है?
मैं देखता हूँ कि संसार में धन कमाने के बहुत-से व्यवसाय हैं । परंतु जब मैं डॉक्टरों के शुभ कार्य को देखता हूँ तो मेरी डॉक्टर बनने की आकांक्षा तीव्र हो जाती है। डॉक्टर जब रोते हुए गरीब को सांत्वना देकर, परामर्श देकर, उसके रोग का इलाज कर उसे नवजीवन प्रदान करता है, तो मेरी इच्छा होती है कि मैं भी डॉक्टर बनूँ।
कैसे पूरा करेंगे?
डॉक्टरी शिक्षा का पाठ्यक्रम पूरा करने हेतु विज्ञान के क्षेत्र में प्रवेश लेना होगा। मुझे बहुत-सा रुपया व्यय करना होगा। किंतु महान लक्ष्य की पूर्ति के लिए सब कुछ सहन करना पड़ेगा। डॉक्टर बनने के लिए मुझे पर दुख, सहनशीलता, विनम्रता, सत्यता आदि गुणों को हृदय में धारण करना होगा।
बनकर क्या करेंगे?
मेरी दृष्टि में डॉक्टर बनना सबसे बड़ी समाज-सेवा और देश-सेवा है। मैं तो एक योग्य डॉक्टर बनकर निर्धन-से निर्धन व्यक्ति को भी अपनी चिकित्सा से संतुष्ट करने का प्रयास करूंगा। यह ठीक है कि मैं जनता की भलाई के लिए ही डॉक्टरी शिक्षा का सदुपयोग करूँगा, लेकिन उदर पोषण एवं परिवार का भी ध्यान करना पड़ेगा। जीवन-निर्वाह हेतु अपनी मेहनत का पारिश्रमिक वसूल करने में मुझे कोई हिचक न होगी, लेकिन दूसरों की विवशता से अनुचित लाभ उठाकर अपनी तिजोरी भरना मैं पाप समझूगा। देश की रक्षा करने वाले सिपाहियों, अन्न देने वाले किसानों, ज्ञान देने वाले अध्यापकों तथा देश के अन्य नागरिकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना तथा उन्हें अच्छा स्वास्थ्य देना देश की एक महान सेवा है। अच्छा स्वास्थ्य सब सुखों का मूल है। किसी ने ठीक ही कहा है — ‘पहला सुख निरोगी काया।’ नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करना सब उन्नति का मूल है। इसके लिए डॉक्टर की सेवा सर्वोपरि है।
मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि मैं अपने लक्ष्य को अवश्य ही प्राप्त कर सकूँगा। यदि दृढ़ संकल्प करके मैं अपने पथ पर आरूढ़ रहा तो मुझे लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होगी। मुझे विश्वास है कि इससे मैं लोगों का प्यार और विश्वास प्राप्त कर सकूँगा। यदि मैं जनता की तन-मन से सेवा करूँगा तो मेरी कीर्ति चहुँ ओर फैलेगी। रोते हुए व्यक्ति के आँसू पोंछना, कराहते हुए व्यक्ति का दुख दूर करना, जख्मी घावों पर मरहम लगाना, जीवन में ऊबे हुए निराश व्यक्ति को नई आशा देना आदि भावनाओं से अनुप्राणित होना मेरा परम कर्तव्य होगा, तभी मेरी डॉक्टरी शिक्षा का ध्येय पूर्ण हो सकेगा।