बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर निबंध | Badhti Jansankhiya Ki Samasya Par Nibandh
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विकराल समस्या
भारत की अनेक समस्याओं में जनसंख्या की समस्या अत्यंत विकराल है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद केवल इसी समस्या के कारण भारतवर्ष में गरीबी, बेरोजगारी तथा अन्य समस्याएँ आज तक सुलझ नहीं सकी हैं। 100 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या के कारण देश के आर्थिक विकास में बाधा पहुँची है तथा अनेक समस्याओं का समाधान आज तक नहीं हो पाया है। वर्तमान युग में बढ़ती आबादी गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
कारण
भारत में जनसंख्या की वृद्धि के अनेक कारण हैं। इनमें लड़कियों का कम आयु में विवाह, लड़के की लालसा, भाग्यवादी दृष्टिकोण, गर्म जलवायु तथा अशिक्षा प्रमुख हैं। भारत के धार्मिक और सामाजिक परिवेश में विवाह एवं सन्तानोत्पत्ति को एक पावन कर्तव्य समझा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की लालसा रहती है कि विवाह के बाद शीघ्र ही संतान का जन्म हो और लड़का उत्पन्न हो, क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता है कि लड़के से ही वंश-वृद्धि होती है तथा माता-पिता की मृत्यु के बाद लड़का ही उनका श्राद्ध एवं पिंड-दान करने का अधिकारी होता है और संतानहीन माता-पिता को मोक्ष प्राप्त नहीं होता। संयुक्त परिवार प्रणाली के कारण गाँवों में अधिक सन्तान उत्पन्न होती है। भारत में संतान को भगवान की देन समझा जाता है तथा उसकी उत्पत्ति में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप पाप समझा जाता है।
दुष्परिणाम
जनसंख्या की वृद्धि के अनेक दुष्परिणाम सामने आए हैं। यह किसी भी देश की प्रगति में बाधक है। इसका प्रभाव देश के लोगों के जीवन स्तर पर पड़ता है, क्योंकि जिस अनुपात में जनसंख्या की वृद्धि होती है, उसी अनुपात में खाद्यान्नों तथा उद्योग-धंधों का विस्तार संभव नहीं होता। जनसंख्या की तेजी से वृद्धि के कारण जन-साधारण की आय में कमी होती है। देश में निर्धनता, बेरोजगारी, कालाबाजारी, भ्रष्टाचार, महँगाई आदि समस्याओं का जन्म होता है। नैतिकता का पतन होता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाती है व राष्ट्रीय चरित्र की क्षति होती है।
अनेक समस्याओं का जन्म
जनसंख्या की इस वृद्धि के कारण देश की आर्थिक प्रगति में बाधा पड़ती है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर आधारित है। इतनी तेजी से बढ़ती जनसंख्या का पोषण करने में हमारी खेती समर्थ नहीं है। सरकार ने उद्योग-धंधों का जाल बिछाकर इस समस्या का हल खोजने में महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है, परंतु जनसंख्या की वृद्धि के अनुपात में यह प्रगति नगण्य मालूम होती है।
अधिक संतान उत्पन्न करने से माँ तथा बच्चे का स्वास्थ्य बिगड़ता है और देश की कार्य-क्षमता एवं राष्ट्रीय आय में कमी आती है। भारत में गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है।
रोक लगाना अनिवार्य किए जा राहे प्रयास तथा सुझावा
जनसंख्या की वृद्धि पर रोक लगाना अनिवार्य है। सरकार ने इस दिशा में बहुत प्रयास किया है। जन संचार माध्यमों तथा समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से परिवार नियोजन का व्यापक प्रचार किया जा रहा है। लड़के-लड़की की विवाह की आयु क्रमश: 21 वर्ष तथा 18 वर्ष कर दी गई है। इस तरह का कानून बनाने पर भी आशातीत सफलता प्राप्त नहीं हो पाई है।
जनसंख्या की समस्या का समाधान कानून द्वारा नहीं, बल्कि जन-जागरण तथा शिक्षा द्वारा ही संभव है। राष्ट्र हित में प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह इस समस्या के प्रति सावधान हो तथा परिवार नियोजन को अपनाए।