अविकारी शब्द या अव्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Avikari Shabd in Hindi
इस लेख में हम आपको अविकारी शब्द की परिभाषा (Avikari Shabd ki paribhasa) (Avikari Shabd kise kahate hain), अविकारी शब्द के भेद (Avikari Shabd ke bhed) और Avikari Shabd के उदाहरण के बारे में बताने वाले हैं। इस Article में अविकारी शब्द के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसको ध्यान से पढे।
शब्द का अर्थ ही है कि जिस शब्द का कुछ भी व्यय न होता हो । अतः अव्यय वे शब्द हैं जिनके रूप में लिंग वचन-पुरुष-काल आदि व्याकरणिक कोटियों के प्रभाव से कोई परिवर्तन नहीं होता। आज, कल, तेज़, धीरे, अरे, ओह, किंतु, पर, ताकि आदि अव्यय शब्दों के उदाहरण हैं।
अव्यय शब्दों के निम्नलिखित भेद हैं :
- क्रियाविशेषण,
- संबंधबोधक,
- समुच्चयबोधक,
- विस्मयादिबोधक,
- निपात।
1. क्रियाविशेषण
वे अविकारी (अव्यय) शब्द जो क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं, क्रियाविशेषण कहे जाते हैं।
जैसे— जब ,जहां, जैसे, जितना, आज, कल, अब इत्यादि
2. संबंधबोधक
संबंधबोधक वे अविकारी शब्द हैं जो संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य के अन्य संज्ञा/सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध का बोध कराते हैं। ‘के ऊपर’, ‘के बजाय’, ‘की अपेक्षा’ इत्यादि शब्द इसी श्रेणी में आते हैं।
जैसे —
- बच्चे पिता जी के साथ मेले गए हैं।
- मैंने घर के सामने कुछ पेड़ लगाए हैं।
- के बदले, की जगह
- पार्क के चारों ओर लोग इकट्ठे हो गए थे।
- सने पोस्ट ऑफ़िस के निकट बस खड़ी कर दी।
- वह घर के भीतर घुसा बैठा है।
- आप के अलावा कौन रुपया देता?
3. समुच्चयबोधक या योजक
कुछ अव्यय शब्द दो शब्दों, दो पदबंधों या दो वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं। ऐसे योजक शब्दों को ही व्याकरण में समुच्चयबोधक अव्यय कहा जाता है। समुच्चयबोधक, जोड़ने के अलावा कुछ अन्य कार्य भी करते हैं; जैसे —
- जोड़ने का कार्य — और, तथा, एवं
- विरोध बताने का कार्य — लेकिन, मगर, किंतु, परंतु
- कारण, परिणाम आदि बताने का कार्य — अतः, क्योंकि, ताकि
4. विस्मयादिबोधक (द्योतक)
विस्मयादिबोधक (विस्मय + आदि + बोधक) शब्द वे शब्द हैं जो आश्चर्य (विस्मय), हर्ष, घृणा, दुख, पीड़ा आदि मनोभावों का बोध कराते हैं।
जैसे — अरे, ओह, हाय, उफ़ आदि। इनसे किसी विशेष अर्थ की सूचना नहीं दी जाती बल्कि ये शब्द तो स्वत: ही किसी विशेष परिस्थिति में मुँह से निकल जाते हैं।
नीचे मन के विभिन्न उद्गारों/भावों को व्यक्त करने वाले विस्मयादिबोधक शब्दों की तालिका दी जा रही है :
- विस्मय/आश्चर्य → ओह ! अहो! अरे ! हैं। क्या!एँ।
- हर्ष/उल्लास → वाह ! आह! क्या खूब ! बहुत अच्छा! अति सुंदर!
- शोक/पीड़ा/ग्लानि → उफ़! हाय! ओह माँ ! हाय राम!
- तिरस्कार/घृणा → धिक् ! छि:-छि: ! धिक्कार ! हट!
- चेतावनी → बचो ! सावधान! होशियार ! अरे! हटो! खबरदार!
- स्वीकृति/सहमति → अच्छा ! बहुत अच्छा ! ठीक!
- संबोधन/आह्वान → हे! अजी!
- संवेदना → हाय! राम-राम! तौबा-तौबा!
5. निपात
कुछ अव्यय शब्द वाक्य में किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल ला देते हैं, इन्हें ‘निपात‘ कहा जाता है। विशेष प्रकार का बल या अवधारणा देने के कारण इनको अवधारक शब्द भी कहा गया है। जैसे — ही, भी, तो, तक, मात्र, भर आदि।
प्रमुख निपात इस प्रकार हैं:
1. ही
- (क) आपको ही करना होगा यह काम।
- (ख) मुझे ही क्यों परेशान करते हो?
2. भी
- (क) हम भी चलेंगे, जल्दी क्या है?
- (ख) वह भी तो चल रही है हमारे साथ।
3. तो
- (क) तुम तो जाओगे ही, मुझे भी निकालोगे।
- (ख) यह काम कर तो लेने दो।
4. तक
- (क) वह मुझसे बोली तक नहीं।
- (ख) खबर तक नहीं दी तुमने।
5. मात्र
- शिक्षा मात्र से ही सब कुछ नहीं मिल जाता।
6. भर
- मैं उसे जानता भर हूँ।