आओ हम सब पढें – पढ़ाएँ Aao Hum Sab Padhe Padhaye Nibandh
Aao Hum Sab Padhe Padhaye Nibandh in Hindi | आओ हम सब पढें – पढ़ाएँ | Aao Hum Sab Padhe | Hum Sab Padhe Padhaye | आओ हम सब पढें – पढ़ाएँ Aao Hum Sab Padhe Padhaye
संकेत बिंदु: 1. शिक्षित निवासियों में ही लोकतंत्र की सफलता निहित 2. सरकार तथा समाजसेवी संस्थाओं द्वारा प्रयास 3. प्रौढ़ शिक्षा, रात्रि पाठशाला आदि 4. साक्षरता अभियान।
भूमिका
भारत सर्वप्रभुतासंपन्न, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। प्रजातंत्र या लोकतंत्र की सफलता की आवश्यक शर्तों में सर्वप्रथम शर्त यह है कि देश के निवासी शिक्षित हों, क्योंकि प्रजातंत्र में वास्तविक शक्तियाँ उसकी जनता में ही निहित होती हैं। जिस देश के निवासी शिक्षित नहीं होते, उस देश की स्थिति उस भवन की भांति होती है जिसकी नींव कमजोर होती है। जिस प्रकार कमजोर नींव वाला भवनटिकाऊ नहीं होता, उसी प्रकार ऐसा लोकतंत्र जहाँ की जनता पूर्णरूपेण शिक्षित नहीं होती, सफल नहीं हो सकता।
शिक्षित निवासियों में ही लोकतंत्र की सफलता निहित
वर्तमान समय में शिक्षा का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। अशिक्षित व्यक्ति को न तो कोई नौकरी मिल पाती है तथा न ही वह कि प्रकार का व्यवसाय शुरू कर पाता है। शिक्षा के अभाव में वह बेरोजगार रह जाता है तथा जीवन भर निर्धनता का अभिशाप भोगता रहता है। अशिक्षित व्यक्ति स्वयं तो अनेक प्रकार के अभिशापी से ग्रस्त रहता है, साथ ही अपनी संतान को भी उचित मार्ग दर्शन नहीं दे पाता।
साक्षर या शिक्षित जनता न केवल अपने अधिकार एवं कर्तव्यों के प्रति सजग रहती है, बल्कि चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग सोच समझकर करती है तथा उसके द्वारा उचित प्रतिनिधियों का चुनाव होता है, जिनकी नीतियों पर चलकर देश उन्नति की ओर अग्रसर होता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश माना जाता है, परंतु यह अत्यंत खेद का विषय है कि स्वाधीनता प्राप्त का लेने के इतने वर्षों में एक-दो राज्यों को छोड़कर कहीं भी शत-प्रतिशत साक्षरता नहीं है। विडंबना तो यह है कि भारत के अनेक राज्यों में साक्षरता का प्रतिशत अत्यंत निम्न है, जो भारतीय लोकतंत्र के नाम पर कलंक है।
सरकार तथा समाजसेवी संस्थाओं द्वारा प्रयास
पिछले कुछ वर्षों से अनेक समाजसेवी संस्थाओं तथा सरकार का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित हुआ है तथा साक्षरता अभियान को नई दिशा प्राप्त हुई है। अनेक विद्यालयों में छात्रों को भी इस दिशा में प्रेरित किया गया है तथा विद्यालयों, महाविद्यालयों द्वारा अनेक कार्य प्रारंभ किए गए हैं, जिनका उद्देश्य है–Each one teach one’ अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित बनाना।
प्रौढ़ शिक्षा, रात्रि पाठशाला आदि
आजकल प्रौढ़ शिक्षा के साथ-साथ ऐसे बच्चों को भी शिक्षित किया जा रहा है, जो नियमित रूप से विद्यालय नहीं जा पाते। जिन्होंने निर्धनता अथवा साधनों के अभाव में पढ़ना छोड़ दिया है, उनके लिए सांध्यकालीन, रात्रिकालीन विद्यालयों तथा शिक्षा केंद्रों की व्यवस्था की गई है। ऐसी व्यवस्था में अनेक शिक्षा संस्थाएँ तथा सामाजिक संस्थाएँ आगे आ रही हैं।
स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी भी इस कार्य में संलग्न हैं। शिक्षा निदेशालय की ओर से भी इस प्रकार की कक्षाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है तथा विद्यालयों को साक्षरता अभियान’ संबंधी निर्देश दिए जा रहे हैं। साथ ही प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय द्वारा निरक्षर प्रौढ़ों के लिए पाठ्यपुस्तकों का निर्माण भी किया गया है, जो नि:शुल्क वितरित की जाती हैं।
साक्षरता अभियान
साक्षरता अभियान एक अत्यंत पवित्र कार्य है, जिसमें प्रत्येक युवा को अपना योगदान देना चाहिए। प्रत्येक युवक-युवती को स्वेच्छा से इस कार्य के प्रति रुचि दिखानी चाहिए तथा अपने मित्रों को भी इस कार्य में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रत्येक पढ़े-लिखे युवक-युवतियों को उन अभागे बच्चों की दयनीय स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए, जिन्हें गरीबी तथा अभावों के कारण या तो विद्यालयों में प्रवेश लेने का अवसर ही नहीं मिला और यदि मिला भी तो बीच में ही छूट गया। निर्धनता से अभिशप्त ऐसे बच्चों में भी जन्मजात प्रतिभा की कमी नहीं होती।हाँ, उनकी प्रतिभा को पल्लवित तथा विकसित होने का अवसर ही नहीं मिलता।
जिस प्रकार एक दीपक दूसरे दीपक को रोशन कर देता है, वैसे ही यदि एक शिक्षित व्यक्ति केवल एक निरक्षर को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले ले, तो भारत की निरक्षरता कुछ ही समय में दूर हो सकती है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम साक्षरता अभियान में हर संभव सहायता प्रदान करके भारतवर्ष से निरक्षरता का समूल नाश करने का बीड़ा उठाएँ और इस कलंक को सदा के लिए मिटा दें।
समरूपी निबंध : • प्रौढ़ शिक्षा निरक्षरता : एक अभिशाप • प्रगति होगी देश की तभी, • जब साक्षर होंगे हम सभी।